Wednesday 11 October 2017

दीदी आप कब आओगे

दीदी आप कब आओगे ?
कबसे इतंज़ार में हूँ,
मैं आपके आने के,
आपसे मिल कर आपको
परेशान करने और
आपको सताने के ।

इस बार आओगी तो  मेरे साथ
बिताना मेरे कमरे में एक रात ।
जैसे आप night out
को जाती हो दोस्तो के साथ ।
हम रात भर बात करेंगे,
खूब सारी गप्प भरेंगें ।

कैसे मैंने आपको परेशान किया था,
कैसे आपने शक्कर कह कर नमक दिया था ।
भोलेपन में आपने मेरी चोटी काटी थी,
और फिर माँ आपको कितना डाँटी थी ।
बचपन की नटखट यादें
सारी शरारत वाली बातें ।

बचपन के खेल याद करेंगे,
नानी के घर जाने वाली रेल याद करेंगे ।
याद करेंगे आपका मुझे रुलाना
और कभी कभी बच्चे की तरह सुलाना ।
मेरा होमवर्क भूल जाना,
और हमारा साथ में स्कूल जाना ।

बताउंगी मैं की आपके जाने पर
मैं कितना रोई थी ।
कुछ दिनों तक कैसे
मैं नम आंखों से सोइ थी ।
मेरा आपके बिना मन न लगना
और आपसे भी मेरा कुछ न कहना ।

कैसे ये ज़िंदगी यूँ खो गयी,
और मैं कैसे बड़ी हो गयी ।
वो कॉलेज में दोस्तो से
मेरी बेवजह की लड़ाई,
उफ्फ इतनी मोटी किताबें
और ये मेरी पड़ाई ।

आपको बताउंगी मैं अपने
कुछ दोस्तों के अतरंगे किरदार,
कैसी है हमारी शरारते
और कैसे से है मेरे यार ।
और फिर धीरे से बता ही दूंगी
आपको अपना पहला प्यार ।

कुछ ग़म ऐसे भी है
जो आपको बताये भी नही है,
आपको पता नही है वो
पर मैंने आपसे छुपाये भी नही है ।
आपसे सब कुछ कहना है ,
फिर दो पल आपकी गोदी में रहना है ।

और फिर वो हमारी
तकिये की लड़ाई अधूरी है,
किसे करती है माँ प्यार ज्यादा
ये जानना भी तो जरूरी है।
आपको गले लगा कर आपसे कहना है,
की आपके बिना मैं कितनी अधूरी हूँ ।

P. S. मुझे कचरे से नही लाये है ।