जो बीत गया सो बीत गया
अब फसानों का क्या करना है
जब पुराना वक़्त ही न रहा
तो पुरानी बातो का क्या करना है
जब कदम बड़ा ही लिए तुमने वक़्त क साथ
तो झूठे अफसानों का क्या करना है
कभी पसंद था तुम्हे अब नहीं हूँ
इतनी सी बात है,
बात को दिल से लगा कर क्या करना है
Sunday 22 November 2015
जाने दो यारो, क्या करना है
नया सफ़र
फूल गुलिसतां बहारे,
मैं ये नज़ारे, सारे छोड़ रहा हु
बेडी सी बन गए है जो
ये बंधन सारे तोड़ रहा हु
अब नज़रो में बस वो सूरज है
जो क्षितिज पर देखो अभी भी चमक रहा है।
हो गयी हे देर थोड़ी
पर मेरे लिए देखो रुका हुआ है।
सुहानी रात तब तलक न आएगी
जब तलक ये माटी मूरत न बन जाएगी
खुद को को ज़र्रा ज़र्रा तोड़ कर
में मोतियो की एक माला जोड़ रहा हु।
हर कदम सफलता न मिले, न सही
अभी मंजिल का सफ़र बाकी है
एक खूबसूरत तस्वीर बनाने को
मैं लकीरो से लकीरे जोड़ रहा हूं ।
Friday 13 November 2015
होश वाले
बेख्याली में नगमे तुम भी गुनगुना लिया करो
ख्याली किस्से अक्सर पेचीदा होते है।
बेहोशी में लोग मुस्कुराते मिलते है
होश वाले अक्सर संजीदा होते है।
Friday 6 November 2015
झूठ का हुनर
झूठ बोलने का हुनर हम भी सीख रहे है,
पता चला है, रिश्ते ऐसे ही बनाये जाते है।
सच की डुगडुगी बस्ते में बंद कर दी है
सच्चे लोग महफ़िलो में कहाँ बुलाये जाते है।
झूठ कहो तो सम्मान काफी मिलता है,
खाने को मीठा पकवान भी मिलता है।
सच का करेला हमेशा नीम चडा होता है,
इसलिये तो लोग झूठ की चाशनी में नहाये होते है।
झूठ कहो तो तारीफे, सच कहो तो मुसीबत।
झूठ कहो तो सब ख़ुशी ख़ुशी, सच कहो तो तोहमत।
सच्ची बातें कोई नहीं करता,
सब यहाँ झूठे अफ़साने गाए जाते है।